Thursday, March 26, 2009

ऐ काश...

सांझ में नदी के किनारे बैठा मैं देखता हूँ--
एक उम्मीद की किरण को:
कि कल जो होगा अच्छा होगा॥
कि एक सच्छे साथ का वादा होगा...
बदलते zamaane के साथ तू आज badal गया है
पर कल जब uthega तो wahi puraana raahi होगा...

सांझ में नदी के किनारे बैठा मैं सोचता हूँ--
एक khubsoorat-si याद को:
जब मैंने हर lamha जिया था...
अपनी jeet को जाम के नशे में पिया था...
आज सर पर jimmedari और chehre पर shikand है
पर याद है जब zindagi को एक khel समझ लिया था...

saanjh mein nadi ke kinare baitha main kosta hoon--
har uss takrao ko:
jo allah aur rab ke beech ki deeewar hai...
jo rishton ko todne mein istemal hota kirdar hai...
kaltak sab sukh-dukh, hansi-khushi ka saathi tha
पर आज सब एक-दूसरे का karzdar है...

सांझ में नदी के किनारे बैठा मैं pukarta हूँ--
har us chamatkari pal ko:
jise yaad kar baithe-baithe ek umar kat jaati hai...
जिसे सोचकर इन hothon पर karwat आ jati हैं...
आज bhale एक तारा doosre से बहुत दूर है
par iske dum par apno ki ahmiyat mahak jati hai...

saanjh mein nadi ke kinare baitha main naman karta hoon--
bhagwan ke har us roop ko:
jiski ungli thamkar main akele bhi tanha nahin...
jiski mamta ka aanchal hokar bhi bepanah nahi...
khoon ke rishte hi sirf jaroori nahin apne hon
main doston ki rehmat se itna bhi anjaan nahin...

Saturday, March 21, 2009

मेरे सपने..

दिल यह कहता है इन आंखों में कई सपने हैं,
यह सपने मेरी सासों की तरह मेरे अपने हैं
ख्वाब का रंग उम्मीदों में नज़र आता है,
अनजानी राहों को चूम कर यह और निखर जाता है

मेरे हर दर्द में यह मेरा मरहम हैं,
येही मेरे दोस्त मेरे हमदम हैं
यह सपने और कुछ नही मेरी परछाईं हैं,
मुझे नींद से जगाने वाली यह अंगडाई हैं

नजाने क्या होता गर यह सपने नही होते,
खुदा को शुक्रिया की यह नही मरते
गर यह सपने कामयाब हुए तो एक मशाल जलाएंगे,
मेरे जाने के बाद दुनिया को मेरी याद दिलाएंगे....

जुदाई...

आज इस महफिल को सजा रखा है
,हर गम को दिल में दबा रखा है,
सहना है सबकुछ बिना किसी आह के,
हमें यह आपने रखा है

तेरी यादों से इस दामन को सजाया है,
तेरी तस्वीर को दिल से लगाया है,
जीना है कैसे हमदम के बिना,
हमें ये आपने ही सिखाया है

कमबख्त वक्त की रफ़्तार nahi रूकती,
एक तरफ़ ये ज़िन्दगी की मार नही रूकती,
तेरी बेवफाई ने झुकना सिखाया है,
वरना हर कहीं दीवार नही झुकती

तेरी यादों पे ही जिंदा रहते हैं,
अपनी ही तन्हाई में बहते हैं,
तून भूलें हैं न भूल पाएंगे,
हम तो हर वक्त यही कहते हैं

बहारें इश्क की आयेंगी तो क्या होगा,
फिर भी तू न आएगी तो क्या होगा,
जीना तेरे बिना है बेकार सनम,
अब यह जान भी जायेगी तो क्या होगा

तेरे हर इशारे को समझते रहे,
अपने हाल में ही उलझते रहे,
वो इशारे न हमारे थे शायद,
हम युहीं सदा बेवक्त सजते रहे..........

JUST WHAT I WANT...

I don't want to be a flower at the top of a mountain,

Just what I desire is the bush of a valley but be...

I don't want to be the shining moon in the sky,

What I pray is one among the stars, but be...

I might not deserve to be the pearl of an ocean,

But I would love to be atleast a shell by the side of sea, but be...

I don't want to be a precious stone or gem,

I am happy being a pebble under the shade of a tree....